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भटकती आत्मा भाग - 17

     भटकती आत्मा

चन्द्रदेव गगन के भगवान में मुस्कुरा रहे थे | उन की चंचल किरणें वसुधा के अंग-अंग को गुदगुदा रही थी। लगता था आकाश से रजत धारा अमृत के रूप में धरा पर बरस रही हो। मंद मंद पवन टोक सा रह रहा था। प्रकृति की छटा पहेली में और भी निखार आई थी। रनिया गांव में हड़ड़िया और दारू का दौर चल रहा था। किसी शिकारी का मांस खाया हुआ था। कुछ लोगों को नशा हो गया था और वे टूटी फूटी आवाज में राग अलाप रहे थे। कुछ युवतियां एक टोली छोड़ थिरक रही थीं। मनकू युवाओं में शामिल था उनका ध्यान कहीं और था। जानकी मैगनोलिया की प्रतीक्षा में थी। 
  अचानक घोड़े के टैप की आवाज उठाई गई पोस्ट। मनकू का ध्यान उस आवाज पर चला गया। धीरे-धीरे टैप की आवाज स्पीड से स्पीडर चली गई। और अंत में जनसमूह से कुछ दूर की बातें बताई गईं। मैगनोलिया अश्व से उतरकर इधर उधर दौड़ने लगा। जानकी ने अपना नामकरण किया, प्रत्युत्तर में मैगनोलिया नेसस ने अपने गले से लगा लिया। तीसरे में एक तरफ से मनकू माझी पहुंच गया। किसी ने कहीं से एक कुरसी कुरसी बहाल कर दी और मैगनोलिया से उस पर बैठने की जगह के लिए कहा।
  अब लालची सबका ध्यान उसकी ओर आकर्षित हो गया था। कुछ पढ़े-लिखे प्लास्टर ने उसे हड़िया पीने के लिए कहा, लेकिन उसने सिराई में मना कर दिया। जानकी मुर्गे का माँस ले आई, वह चिल्लाई लेकिन मनकू के चित्र खाने लगी।
    कुछ देर बाद पुनः नृत्य का दौर शुरू हुआ। युवा-युवती एक-दूसरे की बाँहों में बाँह डाल नाच रहे थे। मनकू भी मैगनोलिया की बाँहों में बाँह साँचे में नाचने लगा युवा युवतियाँ गोलाई बनाकर एक दूसरे की बाँहों में बाँहों में डांस कर रही थीं। उसके बाद कई प्रकार के और भी नृत्य हुए। एक डांस डांस में मैनकू फ़्लोरिडा और मैगनोलिया युवतियों का प्रतिनिधित्व किया जा रहा था। दोनों ने एक-दूसरे को डांस में हराने के सवाल का जवाब दिया, लेकिन कोई भी वर्ग हारना नहीं जानता था। अंत में यह नृत्य अनिर्णित ही समाप्त हो गया।
  नाच गान के क्रम में समय कैसे हुआ, पता ही नहीं चला। जब घड़ी पर मैगनोलिया की नजर पड़ी तब उसकी आत्मा कांपने लगी,10:30 बजा रहे थे घड़ी के कांटे | मनकू के पिता से जाने की कमांडो आदर्श बनी वह। बुजुर्ग ने आज्ञा तो दे दी लेकिन मनकू को पहुंचाना कहा। मैगनोलिया भी यही चाहती थी। यहां तो फ्रैंक मनकू से बात करने का मौका ही नहीं मिला। अश्व की लगाम मनकू ने थाम ली और जंपकर उस पर चढ़ गए, पीछे से मैगनोलिया भी नि:संकोच चढ़ गया | 
  एलिंगन में हुई वह मनकू से न जाने क्या-क्या बातें करती रही | जब बंगले में आया तब मैगनोलिया ने मनकू से उतरने को कहा | निराश्रित लिया गया पेटू समय मनकू से उसने यह कहा नहीं भूली कि अब से अमुक स्थान पर यह दोनों मिलेगें, समय भी निर्धारित कर दिया गया। अंत में बाय का ब्लूटूथ-सक्षम और हवाई चुंबन के बाद दोनों के बीच की दूरी बढ़ गई और मनकू की आंखें ओझल हो गईं। मैंगोनोलिया के अंतिम चरण में आम आदमी पार्टी ने प्रश्न चिन्ह लगा दिया -  
  "तुम कहाँ चले गए थे, मिस्टर जॉनसन क्यों नहीं ले गए"?
    "मिस्टर जॉनसन तो क्लब को कह रहे थे लेकिन उस समय मेरे सर में दर्द था पापा इसलिए नहीं गए | बाद में कुछ ठीक हुआ पर यूँ ही इधर-उधर जाना निकल गया था"|
    "यह अभद्रता है मैगनोलिया मेहमानों के साथ ऐसी मंशा ठीक नहीं"|
  "यह मैं समझता हूं लेकिन लाचारी थी"|
  "ठीक है, अब से ये खाल रखो"|
   "अच्छे पापा" - बोली गई मैगनोलिया घर के अंदर चला गया। वह सोच रही थी कि मिस्टर जॉनसन के स्थान पर उसका पल्ले बंध गया है। अन्य अधिक दावेदार नहीं वह मन ही मन आकर्षक हो रही थी।
आकाश लाल हो रहा था - खून की तरह लाल | सूरज डूब रहा था पेड़ों की कोम्पलों पर लाल रंग की धूप पाद रही थी, जिससे वे अनार की कलियों की तरह चमकती जा रही थी। दूर तक हरी घास का ठंडा-ठंडा कोमल स्थान था। पहाड़ों के उभरते मंदिरों पर भी डूबते सूरज की लाल-लाल किरणें तड़प रही थीं। भींगी हुई हवा मानो दबे चल रही थी।
   ऐसे में मैगनोलिया और मनकू घास पर मछली लेते आकाश को निहार रहे थे। मनकू के हाथ में गुलाब की एक कली थी। अचानक करवट लेकर कहा -
   "मैगनोलिया" 
  "हूँ" - मैग्नोलिया ने अपनी ओर करवट के लिए बिना हुँकारा भरा एल
  "देख रही हो दूर धरती और आकाश मिल रहे हैं"!
   "हूँ" - मैगनोलिया ने फिर हुँकारा भरा। 
   "जानती हो, अगर हम जीवन भर भी जीवित रहें तो कुछ फासले पर हमें हमेशा धरती और आकाश मिलते रहेंगे"|
    अब मैगनोलिया ने अपनी ओर करवट ली और पलकें झपकाईं फिर से चमकती हुई बोली - 
    "क्यों, ऐसा क्यों होता है"?
   "इसलिए कि धरती और आकाश में प्रेम का अटूट संबंध है"|
     "मगर आकाश तो इतना ऊपर है"|
   "तो क्या हुआ, प्रेम के बंधन दूरियों से नहीं टूटे | बिल्कुल ऐसा ही है मेरा और प्रेम संबंध है मैगनोलिया"| 
  "सच" - मैगनोलिया की आँखों में चमकने लगे। 
   "हां,तुम अगर फूल हो तो मैं आकाश हूं, तुम अगर बादल हो तो मैं पानी हूं, तुम चांद हो तो मैं चकोर हूं, तुम धरती हो तो मैं आकाश हूं, तुम अगर शरीर हो तो मैं आत्मा हूं"|
    मैगनोलिया हंस पॉट, बिल्कुल ऐसा लगा जैसे किसी ने नदी में गागर उलट दी हो।
  "तुम तो कवि बन गए माइकल" - मैगनोलिया ने कहा |
  "मेरी कविता मेरे आगोश में है इसलिए कविता बनाना सबसे आसान हो गया है, मैग्नोलिया"|
  "एक बात प्रश्नांक माइकल"? - मैगनोलिया गंभीर होती हुई बोली |
   "एक नहीं हजार, जिसका जवाब देते हुए दिन और रात यूं ही एक साथ ही उदाहरण हो जाए"|
 "मैं अभिनय कम मिलने लगी हूं,इससे तुम दुखी हो तो नहीं"? मैगनोलिया ने नामांकित से पूछा।
  "कैसी बात करती हो मैगनोलिया? जैसे मैं काम में साथ रहता हूं,तुम्हारे साथ भी कोई साझाता नहीं होगी। हम एक दूसरे को एक बार भी देख लें,मेरे लिए बहुत है। तुम कहीं भी रहोगी मैं इसी तरह रहना चाहता हूं। टाइगर मिलो या नहीं मिलो। जब आपने पूछा ही है तो जानना चाहते हैं,आजकल आप किस खास काम में शामिल हो गए''?
  "नहीं ऐसा नहीं है असली, मेरे बंगले में एक नवयुवक इंग्लैंड से जाना जाता है"|
   "अच्छा"|
  "हां, देखने में बहुत सुंदर और स्मार्ट है"|
    "फिर तो तुम उसे पसंद करोगे"|
    "नहीं माइकल नहीं! मैं तो देखना भी नहीं चाहता, क्योंकि वह बाहर से जितना सुंदर है अंदर से उतना ही बुरा है"| 
  "ये तुम कैसे कह सकते हो"|
   "वो शराब पीता है, जुआ खेलता है, और मेरे पीछे रहता है"| 
   "तुम इतनी सुंदर हो कि कोई भी लड़की तुम्हें पसंद करेगी"|
   "लेकिन मैं घास वाली भी नहीं हूँ"|
    "इन बातों को छोड़ो, कोई और बात करो"|
    "नहीं डायर, अब साये दिन से लग रही है गले"| 
  "आओ हम भी गले से लग जाये"|
  "धत, तुम तो बड़े शोख होते जा रहे हो"|
  "तुम तो भारतीय नारी जैसी शर्मीली होती जा रही हो"| 
  "मेरा भी आदर्श भारतीय नारी का ही अनुकरण हो गया है"|
  "लेकिन तुम तो अंग्रेजी बाला हो, शादी के बंधन में बंधने वाले पिता किसी अंग्रेज युवक से ही होंगे। हो सकता है - उसी युवक के साथ कर दे जिसका जिक्र तुम अभी कर रही थी।"
   "जो भी हो मैंफ़्यू सी के बारे में किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकता"|
  "यह तो बहुत बुरा होगा"|
    "जो भी हो, हम साथ जायेंगे साथ मरेंगे | सुरक्षा कोई एतराज है"?
   "नहीं दिन, मैं तो हमेशा साथ हूं | जी चाहता है कि अनंत काल तक इसी तरह साथ-साथ रहूं, कभी जुदाई ना हो"|
   "तब ठीक है डायर"|
   "अच्छा, हम आर्किटेक्चर" - मनकू ने कहा।
    "एक बात और" - मैग्नोलिया ने कहा।
     "क्या" - मनकू ने पूछा 
     "तुम क्या कर रहे हो | जानकी से पता चला कि खेत भी गिरवी पड़ गए हैं"|
    "तो क्या हुआ, मैं दूसरे के परमिट में काम करता हूँ | जब पैसा होगा तब शेष रहेगा"|
   "अगर किसी तरह का बुरा हो, तो कहना | आर्द्र नहीं करना"|
   "ठीक है" - मुस्कुराता हुआ मनकू ने कहा |
    अब दोनों हाथों में हाथ डाले चले जा रहे थे | अपनी को लकी जोड़ी समझ रहे थे वे,परन्तु उनके प्यार पर कुटिल मॅनेशिया बनाया जा रहा था एल
     
                                   क्रमशः 
    
            कोमल कर्ण


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